नारी व्यथा
नारी व्यथा मैं चिड़िया हूँ उन्मुक्त गगन की,लेकिन उड़ न पाती हूँ,सारा दिन दिल मचलाता रहता,पर घूम कहां मैं पाती हूँ। मैं चिड़िया …….. कहते सब आजाद हो तुम,पर आजाद कहाँ रह पाती हूँ,मन की गाथा मन में गाकर,मन ही मन मुस्काती हूँ। मैं चिड़िया …….. कहने को ये गगन हमारा,पर देख कहां मैं पाती … Read more